Thursday, October 6, 2022

सफर


सफर 

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आँखों से आंखों में 

समाहित होने का सफर 

कहीं कट जाता 

एक  पल में 

कभी अधूरा रहता 

युग युगान्तर 


रजनी छाबड़ा 

1 /5 /2004 

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