कैसा गिला ?
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सुर्ख, उनीदीं आँखें
पिछली रात की करवटें
रतजगा
न ख़त्म
होने वाला सिलसिला
विरहन का यही
अमावसी नसीब
किस से शिकवा
कैसा गिला?
रजनी छाबड़ा
8 /5/2004
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