असर
*****
रेत दिनूगै सूं
रात रै छेकड़लै पोर तांई
रंगत बदळै।
सूरज रै सागै रवै
सोनै बरणी संगत पावै
आखै दिन
तपै-बळै
चाँद रै सागै रमै
सगळी रात
ठंडक पावै
ठंडक बरसावै
झरणा बगै जद डूंगरां सूं
उजळी रंगत
ठंडै, मीठै पाणी सूं
सगळां री तिरस मिटावै
पूगै जद मैदानां मांय
नदी रै सरूप मांय
बो ही पाणी गूगळो हुय जावै
झरणै रो पाणी खुद री
मिठास गंवाय
सोन-चिड़कली उड़ै जद
खुलै आभै मांय
आजादी रो गावै गीत
जद होय जावै बंद
पिंजरै मांय
भूल जावै- सगळा गीत
रजनी छाबड़ा
असर ठंडक बरसावै. 🌹
ReplyDeleteAbhaar
Delete