Wednesday, December 6, 2023

मन का क़द : हिंदी और सिरायक़ी में कविता

 




मन का क़द 

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सपने तो वो भी देखते हैं 

दृष्टि विहीन हैं जो 

किस्मत तो उनकी भी होती है 

जिनके हाथ नहीं होते 


हौंसले बुलन्द हो ग़र 

बैसाखियों पर चलने वाले भी 

जीत लेते हैं 

ज़िन्दगी की दौड़ 


मन का क़द 

ऊंचा रखिये 

काया तो आनी जानी है 

यह दुनिया फ़ानी है 

ज़िंदगी की 

यही कहानी है/


रजनी छाबड़ा 

6/12/2023



कविता सिरायक़ी में 

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मन दा  क़द 

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सुफ़ने तां ओ वी देखदे हण 

जिना दियां अनखा कोणी 

किस्मत तन उना दी वी हुंदी ऐ 

जिना दे हथ कोणी हुन्दे 


हौंसले उचे होवण जे 

बैसाखियाँ नाल चलण वाले वी 

जीत लींदे  ने 

ज़िंदगी दी दौड़ 


मन दा क़द 

रख उच्चा 

क़द काठी  तां आँदी वैंदी   हे 

एह दुनिया न रहसी हमेशा 

ज़िंदगी दी इहो कहाणी हे 

रजनी छाबड़ा 

 18 /4/2024 


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