Wednesday, December 6, 2023

पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं




 


पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं 

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पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं ?

शायद इस लिए कि 

देखती आयी हूँ 

पूनम का चाँद 

सकल विश्व को 

चांदनी से सरोबार करने के बाद 

पूर्णता खोने लगता है 

धीमे -धीमे अंधियारी रातों की ओर 

सरकने लगता है 


भरपूर खुशी के लम्हों के बाद 

मेरी खुशियों का चाँद भी 

धीमे -धीमे 

क्या अमावस की ओर  

अग्रसर होने लगेगा ?


उदास अधियारी रातों के बाद 

 उजास वापिस आएगा 

जैसे कि अमावस के बाद 

चाँद वापिस धीमे धीमे 

चांदनी को 

आग़ोश में समेटता है 

बढ़ना, घटना 

यह सिलसिला 

यूं ही चलता है/


रजनी छाबड़ा

6 /12 /2023

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