निखरी निखरी
सर्द रातां दे बाद
ओस वेच नहावण दे बाद
जद अधखिली कली
शबनमीं धुप वेच
अपणा चेहरा सुखांदी हे
क़ायनात निखरी निखरी
नज़र आवन्दी हे /
रजनी छाबड़ा
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