ऐ हवाओं
ऐ फिजाओं
मुझे मेरे होने का
एहसास दिलाओ
साँस ले रही हूँ मैं
अपने जिंदा होने का
यकीन नही
क्या ज़िन्दगी के खिलाफ
यह जुर्म
संगीन नही
एक पल मैं जी लेना
सौ जनम
हर धडकन मैं
संगीत की धुन
हर स्पंदन मैं
पायल की रुनझुन
रेशमी आँचल का
हौले से सरसराना
निगाहों से निगाहों मैं
सब कहना
बिन
पंखों के
आकाश
नापना
पूर्णता का एहसास
सब खवाबों की
बात हो गया
रीते लम्हे
रीता जीवन
जीवन तो बस
बनवास हो गया
सौंधी
यादों
के उपवन
फिर
महकाओ
ऐ हवाओं
मुझे मेरे होने का
अहसास
दिलाओ
ऐ फिजाओं
मुझे मेरे होने का
एहसास दिलाओ
साँस ले रही हूँ मैं
अपने जिंदा होने का
यकीन नही
क्या ज़िन्दगी के खिलाफ
यह जुर्म
संगीन नही
एक पल मैं जी लेना
सौ जनम
हर धडकन मैं
संगीत की धुन
हर स्पंदन मैं
पायल की रुनझुन
रेशमी आँचल का
हौले से सरसराना
निगाहों से निगाहों मैं
सब कहना
बिन
पंखों के
आकाश
नापना
पूर्णता का एहसास
सब खवाबों की
बात हो गया
रीते लम्हे
रीता जीवन
जीवन तो बस
बनवास हो गया
सौंधी
यादों
के उपवन
फिर
महकाओ
ऐ हवाओं
ऐ फिजाओं
मुझे मेरे होने का
अहसास
दिलाओ
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
bahut hi pyari kavita hai...jine ke ahsaas se labrez.....
ReplyDeletekhuda apki yah khwahish ki tameel kare....meri yah dua hai........