साजन की देहरी पर
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कईं सावन,कईं बसंत,गए गुजर
तय करने में,बचपन से
यौवन तक की डगर
कली से पल्वित,कुसुमित होंने का सफ़र
हाथों में सुहाग की मेहंदी रचाए
माथे पर सिंदूरी बिंदिया सजाये
धानी चुनरिया ओढ़
बाबुल की गलियाँ,पीछे छोड़
अपनाया ज़िन्दगी का नया मोड़
साजन की देहरी पर रखते ही पाँव
कंगना खनके झनझन
बज उठी पायल रुनझुन
इन्द्रधनुषी सपने बसे,पलकों की छाँव
चाह बस यही अब
आयें ज़िन्दगी में कितने भी पड़ाव
साथ न छूटे कभी साजन का
हो चाहे ज़िन्दगी की सुबह,चाहे शाम
हर पल बस तेरा ही ख्याल
हर पल बस तेरा ही नाम
रजनी छाबड़ा
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कईं सावन,कईं बसंत,गए गुजर
तय करने में,बचपन से
यौवन तक की डगर
कली से पल्वित,कुसुमित होंने का सफ़र
हाथों में सुहाग की मेहंदी रचाए
माथे पर सिंदूरी बिंदिया सजाये
धानी चुनरिया ओढ़
बाबुल की गलियाँ,पीछे छोड़
अपनाया ज़िन्दगी का नया मोड़
साजन की देहरी पर रखते ही पाँव
कंगना खनके झनझन
बज उठी पायल रुनझुन
इन्द्रधनुषी सपने बसे,पलकों की छाँव
चाह बस यही अब
आयें ज़िन्दगी में कितने भी पड़ाव
साथ न छूटे कभी साजन का
हो चाहे ज़िन्दगी की सुबह,चाहे शाम
हर पल बस तेरा ही ख्याल
हर पल बस तेरा ही नाम
रजनी छाबड़ा