Monday, November 9, 2009

PREHRI

प्रहरी
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आँख भर आयी
निगाह गहरी
और गहरी हुई
एक सागर प्यार का
उमड़ आया
अंतस के अछोर क्षितिज
तभी जगा मन में
यह भय
तिरोहित न हो जाये
खुली आँख का स्वपन
और बस
झुक गयी पलकें
किस खजाने की
भला,यह प्रहरी हुई


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