Wednesday, July 7, 2021

 ज़िन्दगी ने तो मुझे 

कभी फुर्सत न दी 

ऐ मौत !

तू ही कुछ मोहलत दे 


अता  करने है अभी 

कुछ क़र्ज़ ज़िंदगी के 

अदा करने हैं अभी 

कुछ फर्ज़  ज़िंदगी के 


अधूरी हैं तमन्ना अभी 

मंज़िल को पाने की 

पेशतर इसके कि 

खो जाऊं 

गुमनुमा अंधेरों में 

चंद चिराग़ 

रोशन करने की 

ऐ मौत! तू ही 

कुछ मोहलत दे/


ज़िंदगी  ने  तो मुझे 

कभी फुरसत न दी 

ऐ मौत! तू ही 

कुछ मोहलत दे 


रजनी छाबड़ा 


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