मित्रों , आप सब के साथ अपनी हिंदी कविता का डॉ. शिव प्रसाद द्वारा किया गया मैथिली अनुवाद सांझा करते हुए हर्षित हूँ/ ज्ञात रहे कि इस से पूर्व डॉ साहिब मेरे दो हिंदी काव्य संग्रहों पिघलते हिमखंड व् होने से न होने तक का मैथिली में अनुवाद कर चुके हैं/ हार्दिक आभार इस निहायत खूबसूरत अनुवाद के लिए/
Wednesday, December 20, 2023
हिंदी कविता का डॉ. शिव प्रसाद द्वारा किया गया मैथिली अनुवाद
Wednesday, December 6, 2023
मन का क़द : हिंदी और सिरायक़ी में कविता
मन का क़द
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सपने तो वो भी देखते हैं
दृष्टि विहीन हैं जो
किस्मत तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते
हौंसले बुलन्द हो ग़र
बैसाखियों पर चलने वाले भी
जीत लेते हैं
ज़िन्दगी की दौड़
मन का क़द
ऊंचा रखिये
काया तो आनी जानी है
यह दुनिया फ़ानी है
ज़िंदगी की
यही कहानी है/
रजनी छाबड़ा
6/12/2023
कविता सिरायक़ी में
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मन दा क़द
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सुफ़ने तां ओ वी देखदे हण
जिना दियां अनखा कोणी
किस्मत तन उना दी वी हुंदी ऐ
जिना दे हथ कोणी हुन्दे
हौंसले उचे होवण जे
बैसाखियाँ नाल चलण वाले वी
जीत लींदे ने
ज़िंदगी दी दौड़
मन दा क़द
रख उच्चा
क़द काठी तां आँदी वैंदी हे
एह दुनिया न रहसी हमेशा
ज़िंदगी दी इहो कहाणी हे
रजनी छाबड़ा
18 /4/2024
पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं
पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं
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पूर्णता से क्यों डरती हूँ मैं ?
शायद इस लिए कि
देखती आयी हूँ
पूनम का चाँद
सकल विश्व को
चांदनी से सरोबार करने के बाद
पूर्णता खोने लगता है
धीमे -धीमे अंधियारी रातों की ओर
सरकने लगता है
भरपूर खुशी के लम्हों के बाद
मेरी खुशियों का चाँद भी
धीमे -धीमे
क्या अमावस की ओर
अग्रसर होने लगेगा ?
उदास अधियारी रातों के बाद
उजास वापिस आएगा
जैसे कि अमावस के बाद
चाँद वापिस धीमे धीमे
चांदनी को
आग़ोश में समेटता है
बढ़ना, घटना
यह सिलसिला
यूं ही चलता है/
रजनी छाबड़ा
6 /12 /2023
पूर होयबासँ किएक डराएत छी हम?
पूरा होयबासँ किएक डराएत छी हम?
साइत एहिलेल कि
देखैत अबै छी जे
पुर्णिमाक चान
सकल संसारकें
अपन आभासँ नहेबाक बाद
अपन पूरमपनसँ छीजऽ लगैत अछि
नहु-नहु अन्हार राति दिस
घुसकऽ लगैत अछि
भरल -पुरल आनन्दक पऽलकें बाद
हमर आनन्दक चानो
नहु -नहु
की अमवसिया दिस
बढ़ऽ लगते?
उदास अन्हरिया रातिक बाद
इजोत आपस औतै
जेना कि अमवसियाक बाद
चान फेरसँ नहु -नहु
चाननीकें
कोरमे समेटै छै
बढ़बा -घटबाक
काज -बेपार
अहिना चलैत रहैत छैक।
मैथिली अनुवाद
डा शिव कुमार प्रसाद, सिमरा, झंझारपुर, मधुबनी।
Saturday, October 28, 2023
पिंजरे का पंछी
पिंजरे का पंछी
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पिंजरा ही है मेरा घर
अब तक मन को था
यही समझाया
उन्मुक्त उड़ान लेते
पंछी देख
आज मन क्यों भरमाया
ता उम्र पिंजरे में क़ैद पंछी
आज़ादी के लिए गिड़गिड़ाया
बहेलिये ने तरस खा पर
खोल दिया पिंजरे का दरवाज़ा
पंछी ने कोशिश की
पंख फ़ैला, ऊंची उड़ान लेने की
पर क्या गगन की ऊंचाई
छू पाया
सहम गया
उड़ते बाज़ को देख कर
पिंजरे में ही
वापिस बसने का मन बनाया/
जीने का जो अंदाज़
रहा बरसों
उस की क़ैद से
नहीं छूट पाया/
@रजनी छाबड़ा
२८/१०/२०२३
Sunday, October 8, 2023
Friday, September 1, 2023
हिंदी कविता : 'बात सिर्फ इतनी सी , मैथिली, इंग्लिश और बांगला अनुवाद के साथ
मित्रों , मेरे सद्य प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह 'बात सिर्फ इतनी सी 'की शीर्षक कविता बात सिर्फ इतनी सी मूल हिंदी कविता , मैथिली, इंग्लिश और बांगला अनुवाद के साथ आप सब से सांझा कर रही हूँ/
तनहा बैठी वह
और सामने
आँखों में तैरते
फूलों से नाज़ुक
किल्कारते बच्चे
बगिया का वीरान कोना
अजनबी का
वहाँ से गुजरना
आंखों का चार होना
अचकचाए
शब्द
झुकी पलकें
जुबान खामोश
रह गया कुछ
अनसुना,अनकहा
लम्हा वो बीत गया
जीवन यूँ ही रीत गया
जान के भी
अनजान बन
कुछ
बिछुडे ऐसा
न मिल पाये
कभी फिर
जंगल की
दो शाखों सा
आहत मन की बात
सिर्फ इतनी
तुमने पहले क्यों
न कहा
वो अनंत काल
से उदास
और सामने
फूलों से नाज़ुक बच्चे
खेलते रहे/
On the withered grass
Of orchard
She was
Sitting alone
And in front of her eyes
In her vision were
Blossom like kids
Giggling and playing
In the deserted corner
A stranger passed by
His eyes ,abruptly
Met with her eyes.
Caged by traditions
Confined heart beats
Hesitant words
Mum lips
Downcast eyes
Something remained
Unheard ,unushered.
The moment passed
Leaving behind
Vacuum in life.
knowing and still
Pretending to be ignorant
They parted
And could never
Meet again in life
Like two branches
Of thicket
Only pang of
Hurt heart was
Why you did not
Disclose your mind
At that instant only
She is lonely
Since epochs
He is forlorn
Since ages
And blossom like kids
kept giggling and playing.
RAJNI CHHABRA
Sunday, August 13, 2023
रजनी छाबड़ा (जुलाई 3, 1955)
पत्नी : स्व. श्री सुभाष चंद्र छाबड़ा
राष्ट्रीयता : भारतीय
जन्मस्थान : देहली
प्रकाशित पुस्तकें :
अंकशास्त्र और नामांक -शास्त्र पर 10 पुस्तकें हिंदी व् इंग्लिश में प्रकाशित
इंग्लिश पोइट्री: Mortgaged, Maiden Step
अनुदित पुस्तकें : 9 काव्य संग्रह राजस्थानी से, 8 हिंदी से , 1 पंजाबी से व् 1 नेपाली से इंग्लिश लक्ष्य भाषा में अनुदित; मेरे २ हिंदी काव्य संग्रह 'होने से न होने तक' व् 'पिघलते हिमखंड' मैथिली और पंजाबी में व् अंग्रेज़ी काव्य संग्रह Mortgaged बांग्ला और राजस्थानी में अनुदित व् चुनिन्दा कविताएँ 9 क्षेत्रीय भाषाओँ में अनुदित
स्थानीय, राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काव्य सम्मेलनों में भागीदारी व् 7 अंतर्राष्ट्रीय काव्य संग्रहों में रचनाएँ सम्मिलित , 1991 से 2010 तक, आकाशवाणी, बीकानेर से निरंतर काव्य पाठ प्रसारण
डिजिटल साहित्य में निरंतर योगदान , पोयम हन्टर्स डॉट.कॉम पर अनेकानेक कविताओं के वीडियो , किंडल बुक पब्लिशिंग से 39 इ बुक्स प्रकाशित
youtube channel : therajni 56
email : rajni.numerologist @gmail.com
Monday, July 3, 2023
जन्मदिन पर :भूपेन्द्र राघव
Tuesday, June 27, 2023
कोशिश
कोशिश
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लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली
काश! सुनती सबकी, पर चलती अकेली
छूटते हुए रिश्ते, उलझते जज़्बात
समझ ना पा रही ये हालात
उनकी खुशी नाखुश कर जाए, मालूम ना था
होते अकेले अच्छा होता, मनाने का बोझ तो ना था
कल की चिंता काल बन गई
आज की जीत होते हुए भी, हार बन गई
कल मरने का डर कैसा, जब आज जीने की शुरुआत नहीं
ये सोच सोच , बातें परेशान कर गईं
लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली
Thursday, June 22, 2023
1. सुरंग
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पहाड़ का सीना चीर के
बनायी जाती है सुरंग
अंधेरों की राह
पार कर के
जीवन में मिलते
उमंग और तरंग /
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सदियों से
अडिग खड़े हैं
राह किनारे
मौन तपस्वी से
सहते सहजता से
आँधी , तूफ़ान के थपेड़े
झुलसाती धूप
सिहराती, ठिठुराती सर्दी
पतझड़ और बहारें
हर हाल में तटस्थ
नहीं शिक़वा किसी से
कोई संग चलने के लिए
पुकारे या न पुकारे
भटकते राहगीरों को
दिशा दिखाते
हम मील के पत्थर
हम रहनुमा तुम्हारे/
मेरी यह कवितायेँ मौलिक व् अप्रकाशित हैं/
रजनी छाबड़ा
Wednesday, June 21, 2023
इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुई/
Friday, June 2, 2023
रजनी छाबड़ा
रजनी छाबड़ा ( 3 जुलाई, 1955)
सेवानिवृत व्याख्याता, बहुभाषीय कवयित्री अर अनुवादिका, ब्लॉगर, समीक्षक, Ruminations, Glimpses (UGC Journals) री संपादकीय टीम सदस्य, वर्ल्ड यूनियन ऑफ़ पोएट्स री इंटरनेशनल डायरेक्टर 20, ग्लोबल एम्बेसडर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड पीस (I.H.R.A.C), स्टार एम्बेसडर ऑफ़ वर्ल्ड पोइट्री, सी इ. ओव् सस्थापक www.numeropath.com. प्रकाशित पोथ्यां : हिंदी में- होने से न होने तक, पिघलते हिमखंड, सतरंगी खुशी, आस की कूंची से, अंग्रेजी में- Mortgaged, Maiden Step (कविता संग्रै), अंकशास्त्र और नामांक -शास्त्र पेटै 11 पोथ्यां अर अनूदित पोथ्यां: 6 काव्य संग्रै हिंदी, एक पंजाबी अर 9 राजस्थानी सूं अंग्रेजी मांय छप्योड़ा।