प्रशंसनीय काव्य संग्रह
बात सिर्फ इतनी सी
सुप्रसिद्ध बहु-भाषीय कवयित्री, अंकशास्त्र की गहरी ज्ञाता एवं श्रेष्ठ अनुवादिका रजनी छाबड़ा के इस काव्य संग्रह में भाव एवं कला का अद्भुत संगम है। जहां भाषा का शिल्प आकर्षित करता है वहीं कविताओं में दार्शनिकता जीवन के विभिन्न पहलुओं को ऊर्जा से सींचती सी , प्रेरणा देती नजर आती है। रचनाओं में प्रकृति बोध, रिश्ते नाते, दुनियादारी, जीवन की विषमताओं व विडंबनाओं को बहुत गहराई से रेखांकित करती है। देखे, सुने और सहे हुए दर्द को शब्दों में ढालती चलती है / कवयित्री की जीवन शैली को देखने की अद्भुत व पैनी दृष्टि है। जमीन से जुड़े भाव व प्रतीक कविताओं को ऊंचाईयां प्रदान करते हैं। शब्द संयोजन व् शिल्प सौष्ठ प्रभावित करते हैं।अधूरी आरजू, खामोशी, दीवार, सिलसिला आदि कविताओं में कवयित्री का दृष्टि विस्तार काबिले तारीफ है।निश्चय ही साहित्य जगत में यह कृति अपना विशेष स्थान रखेगी। सकारात्मक दृष्टि कोण से पूर्ण इस काव्य संग्रह के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईयाँ । कवयित्री की लेखनी अनवरत चलती रहे।
इसी मंगल कामना के साथ
शकुन्तला शर्मा सहायक निदेशक (सेवा निवृत्त)
हिन्दी साहित्यकार चिंतक और कवयित्री
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