Sunday, April 20, 2025

लस्टस : उपसंहार

 

प्रकाशनाधीन 

शीघ्र ही उपलब्ध होगा/


लस्टस 

उपसंहार 

हमारा ब्रह्माण्ड तो एक विभाजित घर है,

बुराई की उपस्थिति से अच्छाई पूर्णतः संतुलित है/

दानव नमक की तरह हैं जो कि 

 सभी स्वर्गदूतों के, सभी शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों को 

ख़लाओं  के लिए  सुपाच्य बनाते हैं/



अतीत में कौन से युग ,

सतयुग, त्रेता, द्वापर बुराइयों से मुक्त थे ?

कलयुग में जो एक मात्र भिन्नता हम देखते हैं, वह यह है  

कि बुराई का मानवीकरण किसी एक व्यक्ति के रूप में नहीं किया गया 

जैसे कि पहले रावण या कंस अथवा दुर्योधन के रूप में किया गया था /


कलयुग एक् टाइम कैप्सूल  है, जिस में 

ज्ञान ने अपनी बुरी शक्तियां दिखाई हैं 

लोग ईश्वर के प्रति आस्था-हीन हो जाते हैं/

हठधर्मी हो जाते हैं 

और अपने वैकल्पिक देवता बना लेते हैं/


लस्टस सेटन का एक काल्पनिक पुनः  रूप है/    

अधिक ख़ौफ़नाक  क्योंकि वह प्रयत्न करता है 

पौधों,  पक्षियों और जानवरों के साम्राज्य में   
उच्च -स्तरीय आत्म ज्ञान देने की/


 देवताओं और बुराईयों के संगठनों में 

युद्ध छिड़ जाता है 

युद्ध के वीभत्स हादसे बाध्य करते हैं दोनों पक्षों को 

एक युद्ध -संधि विराम के लिए ताकि 

अंतिम आक्रमण से पूर्व थोड़ा समय जुटाया जा सके/


लस्टस अभी भी अपने ओहदे पर क़ायम है/

अग्नि  के सबसे महत्वपूर्व प्रारूप सम 

यहाँ-वहाँ यदि कुछ उलट-फेर करने पड़ें  

इसे केवल कुछ क्षति ही आंका  जाएगा, व्यवसाय के साम्राज्य में /


अब समय आ गया है कि देवता पुनर्विचार करें 

किस तरह से वे पुनः प्राप्त  सकते हैं 

मानव हृदय पर अपनी खोयी हुई पकड़ /

उन्हें दूसरों को अधिक भावनात्मक समर्थन देना होगा  

और कम  लापरवाह और कम निर्दयी बनना पड़ेगा/


क्या वे सूचना मिलते ही तुरंत ध्यान देंगे 

यदि कहीं कोई मानवीय क्षति हुई हो/

दानवों जैसे, जो हमेशा मनुष्यों के आदेश मानते हैं 

और उनके लिए  तत्परता से कार्यशील रहते हैं?


दानव उनके मन की बात समझते हैं 

उनके  लिए मल्हम जुटाते हैं/

और उन्हें ऐसे स्थानों में जाने के लिए लालायित करते हैं 

जहाँ पर अंत में उनकी शांति नष्ट हो जाती है/


सृजना और कुशलक्षेम के देवताओ 

लस्टस और उसके  दानवों ने 

मानवता का संतुलन बिगाड़ दिया है /

लोग विक्षिप्त हो गए हैं/

पुनर्विचार कीजिये उन्हें इस उत्तेजना के संसार  से 

वास्तविकता और स्थिरबुद्धिता के  संसार में 

कैसे वापिस लाया जाये /

मूल लेखन (अंग्रेज़ी ): डॉ जरनैल सिंह आनंद 

हिंदी अनुवाद : रजनी छाबड़ा