Monday, June 23, 2025

समुद्र तट पर



समुद्र तट पर 

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नीले खुले आसमान तले 

मंद मंद बयार का आनंद लेते 

समुद्र तट पर 

सीपियाँ, शंख बटोरते 

अजीब से खुशी मिलती है 

क़ुदरत  के ख़ज़ाने  से 

कुछ मिलने का एहसास /


अपनी कल्पना शीलता से 

रेत के घरौंदे बनाते 

और उस पर अपना नाम उकेरते 

मासूम बच्चे, खिलखिलाते 

पुलकित होते देख 

सागर का विस्तार 


अगले ही क्षण 

तट से टकराती लहरें 

बहा कर  ले जाती 

उनके सपनों का आशियाना 


और सन्देश दे जाती 

 क्षण भंगुरता का/


रजनी छाबड़ा 


मेटा AI द्वारा कविता का विश्लेषण 

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