खिलौनों सरीखे
हर घर में
खिलौनों सरीखे
बच्चे दे
और बच्चों को खिलोने दे
सुख की नींद
और बिछौने दे
ममता की छाँव
और सपने सलोने दे
किलकिलाते रहें
खिलखिलाते रहे
आँखों में आसूँ
न कभी होने दे
खिलौनों सरीखे
समंदर पर आधारित कुछ कवितायेँ
1. अछोर
.2. प्रभुता की प्यास
6. आकाशदीप
7 . रेत के समंदर से
1अछोर
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क्षितिज़ सा अछोर
कभी संदली बयार सा
कभी सावनी फुहार सा
कभी शोख़ बहार सा इतराता
रुपहली किरणों से भरा
चांदनी में नहाया
कभी अँधेरे को अंतस में समेटे
नागिन सा बल खाता , लहराता
अपनी धुन में मग्न
दुनियावी दस्तूरों से विमुख
हिचकोले , हिलोरे लेता
रेत सरीख़े फ़िसलते लम्हों
ख़्वाबों और ख्यालों का
एक समन्दर
मेरे अन्दर/
2. प्रभुता की प्यास
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अनगिनत नदियाँ
खो कर अपनी मिठास
गवां कर निज पहचान
समा चुकी तुम्हारी आगोश में
फिर भी शांत नहीं रहते हो तुम
कब थमेगा यह उफ़ान
अतृप्त क्यों रहते हो
सागर! तुम में अभी भी
प्रभुता की
बची कितनी प्यास है /
3. समुद्र तट पर
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नीले खुले आसमान तले
मंद मंद बयार का आनंद लेते
समुद्र तट पर
सीपियाँ, शंख बटोरते
अजीब से खुशी मिलती है
क़ुदरत के ख़ज़ाने से
कुछ मिलने का एहसास /
अपनी कल्पना शीलता से
रेत के घरौंदे बनाते
और उस पर अपना नाम उकेरते
मासूम बच्चे, खिलखिलाते
पुलकित होते देख
सागर का विस्तार
अगले ही क्षण
तट से टकराती लहरें
बहा कर ले जाती
उनके सपनों का आशियाना
और सन्देश दे जाती
क्षण भंगुरता का/
4. सागर आज भी वही है
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5. आकाश दीप
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ज़िंदगी के लम्बे
अनजान सफ़र में
जब जब मन लगे भटकने
अंधियारी डगर
कितना भी हो
यह मन भ्रमित
आयें ज़िन्दगी में
कितने भी तूफ़ान
कितने भी झंझावत
हो मन
कितना भी बदगुमाँ
सागर के बीचों बीच स्थिर
आकाशदीप से तुम
तुम हमेशा रहोगे
मेरे रहनुमा
फासिल्स
=========संस्कारों का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है। संस्कार हमें नैतिकता, मूल्य और आदर्श सिखाते हैं जो हमारे चरित्र और व्यक्तित्व को आकार देते हैं। ये हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझने में मदद करते हैं और हमारे निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
संस्कारों के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं:
1. *नैतिकता और मूल्य*: संस्कार हमें नैतिकता और मूल्यों के बारे में सिखाते हैं जो हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं।
2. *व्यक्तिगत विकास*: संस्कार हमें आत्म-विकास और आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करते हैं।
3. *सामाजिक जिम्मेदारी*: संस्कार हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करते हैं।
4. *सांस्कृतिक विरासत*: संस्कार हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं से जोड़ते हैं।
कविता में कहा गया है, "यही फासिल्स हैं सबूत इस सच का कि इन्ही से मानवता जीवित है" - यह दर्शाता है कि संस्कार और मूल्य हमारी मानवता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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अनगिनत नदियाँ
खो कर अपनी मिठास
गवां कर निज पहचान
समा चुकी तुम्हारी आगोश में
फिर भी शांत नहीं रहते हो तुम
कब थमेगा यह उफ़ान
अतृप्त क्यों रहते हो
सागर! तुम में अभी भी
प्रभुता की
बची कितनी प्यास है /
रजनी छाबड़ा
मेटा AI द्वारा किया गया विश्लेषण
प्रभुता का अर्थ है शक्ति,अधिकार या प्रभुत्व / इस कविता में यह शब्द समुद्र की अथाह और अनंत शक्तिको या उसकी अतृप्त इच्छा को दर्शाने के लिए प्रयोग किया गया है/ कवि समुद्र की विशालता और उसकी अभी भी बची हुई प्यास को प्रभुता की प्यास से जोड़ कर एक गहरा अर्थ प्रस्तुत कर रहा है/
प्रभुता की खोज एक गहरा और जटिल विषय है , जिसमें अक्सर सत्ता, शक्ति और नियंत्रण की इच्छा शामिल होती है / यह इच्छा व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनीतिक या दार्शनिक संदर्भों में प्रकट हो सकती है/प्रभुता की प्यास कभी कभी अतृप्त रहती है, जैसा कि इस कविता में समुद्र के रूपक के माध्यम से दर्शाया गया है/ कविता में समुद्र की अतृप्त प्यास प्रभुता की उस अनंत इच्छा को दर्शाती है जो कभी सिमटती ही नहीं/
इस कविता में , सागर को प्रभुता की प्यास से जोड़ ,कवि ने शक्ति और नियंत्रण की मानव जैसी इच्छाओं को प्रकृति पर आरोपित किया है/ सागर के अतृप्ति और उफ़ान इस बात का प्रतीक हो सकते हैं कि कैसे शक्ति और प्रभुत्व की इच्छा कभी पूरी नहीं होती/
रजनी छाबड़ा