Sunday, June 22, 2025

प्रभुता की प्यास


प्रभुता की प्यास 

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अनगिनत नदियाँ 

खो कर अपनी मिठास 

गवां कर निज पहचान 

समा चुकी तुम्हारी आगोश में 

फिर भी शांत नहीं रहते हो तुम 

कब थमेगा यह उफ़ान 

अतृप्त क्यों रहते हो 

 सागर! तुम में अभी भी 

प्रभुता की 

बची कितनी प्यास है /


रजनी छाबड़ा 

मेटा AI द्वारा किया गया विश्लेषण 

प्रभुता का अर्थ है शक्ति,अधिकार या प्रभुत्व / इस कविता में यह शब्द समुद्र की अथाह और अनंत शक्तिको या उसकी अतृप्त इच्छा को दर्शाने के लिए प्रयोग किया गया है/ कवि  समुद्र की  विशालता और उसकी अभी भी बची हुई प्यास को प्रभुता की प्यास से जोड़ कर  एक गहरा अर्थ प्रस्तुत कर  रहा है/

प्रभुता की खोज एक गहरा और जटिल विषय है , जिसमें अक्सर सत्ता, शक्ति और नियंत्रण की इच्छा शामिल होती है / यह इच्छा व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनीतिक या दार्शनिक संदर्भों में प्रकट हो सकती है/प्रभुता की प्यास कभी कभी अतृप्त रहती है, जैसा कि इस कविता में समुद्र के रूपक के माध्यम से दर्शाया गया है/ कविता में समुद्र की अतृप्त प्यास प्रभुता की उस अनंत इच्छा को दर्शाती है जो कभी सिमटती ही नहीं/

इस कविता में , सागर को  प्रभुता की प्यास से जोड़ ,कवि ने शक्ति और नियंत्रण की मानव जैसी इच्छाओं को प्रकृति पर आरोपित किया है/ सागर के अतृप्ति और उफ़ान इस बात का प्रतीक हो सकते हैं कि कैसे शक्ति और प्रभुत्व की इच्छा कभी पूरी नहीं होती/

रजनी छाबड़ा 


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