फासिल्स
=========मृग मरीचिका में
पहचान तलाशती
आज की युवा पीढ़ी
दिशा भ्रमित होती
रेत के सैलाब सी भटकती
क्या कभी कदमों के निशान छोड़ पायेगी
जिन पर चल कर ,आने वाली पीढ़ियाँ
मंजिलों के सुराग पाएंगी
कल्पना के पंख लगाये, वे उड़ना चाहते है
सपनों के सुनहले गगन में
टी वी ,साइबर, डिस्को की जेनरेशन
चाहती है ज़िन्दगी में थ्रिल और सेंसेशन
चंचल ,मचलते दिलों को अखरती है
बुजुर्गों की झील से गहरी स्थिरता
होती है कभी कभी बेहद कोफ़्त
जब उनकी बेरोक आज़ादी पर
लगायी जाती है, बुजुर्गों द्वारा टोक
उनकी नज़रों में, बुजुर्ग हैं फासिल्स जैसे
जिन पर कोई क्रिया,कोई प्रतिक्रिया नहीं होती
लाख बदलें, ज़माने के मौसम
उनके लिए कोई फिज़ा
कोई खिज़ा नहीं होती
वक़्त और समाज की चट्टान के बीच दबते
अपनी संवेदनाओं का दमन करते
परत दर परत, ख़ामोशी के भार से दबते
संस्कारों की वेदी पर, निज इच्छाओं की बलि देते
आजीवन मौन तपस्या करते
धीमे धीमे हो गए वे जड़वत फासिल्स जैसे
नयी पीढ़ी भले ही इन्हें नाम दे
सड़ी गली मान्यताओं के
बोझ तले दबे फासिल्स का
पर यही फासिल्स हैं सबूत इस सच का
कि इन्ही से मानवता जीवित है
यह मानवता के अवशेष नहीं
यह हैं उन मंजिलों के सुराग
जिनका अनुकरण कर
सभ्यता के कगार पर खड़ी
आधुनिक पीढ़ी पा सकती है
संस्कारों के भण्डार
फासिल्स के अस्तित्व से अनजान
अरस्तू ने,यूं की थी
फासिल्स की पहचान
'यही वे सांचे हैं, जिनमें
खुदा ने ज़िंदगी को ढाला है '
सभ्यता और संस्कारों की
गहरी जड़ें फैलाएं
यह फासिल्स ही
सही कुदरत ने इन्हें
बड़े नाज़ों से संभाला है
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संस्कारों का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है। संस्कार हमें नैतिकता, मूल्य और आदर्श सिखाते हैं जो हमारे चरित्र और व्यक्तित्व को आकार देते हैं। ये हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझने में मदद करते हैं और हमारे निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
संस्कारों के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं:
1. *नैतिकता और मूल्य*: संस्कार हमें नैतिकता और मूल्यों के बारे में सिखाते हैं जो हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं।
2. *व्यक्तिगत विकास*: संस्कार हमें आत्म-विकास और आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करते हैं।
3. *सामाजिक जिम्मेदारी*: संस्कार हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करते हैं।
4. *सांस्कृतिक विरासत*: संस्कार हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं से जोड़ते हैं।
कविता में कहा गया है, "यही फासिल्स हैं सबूत इस सच का कि इन्ही से मानवता जीवित है" - यह दर्शाता है कि संस्कार और मूल्य हमारी मानवता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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