Thursday, February 17, 2022

 

पूर्णता की चाह 

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या खुदा! 

थोड़ा सा अधूरा रहने दे 

मेरी ज़िन्दगी का प्याला

 ताकि प्रयास जारी रहे

 उसे पूरा भरने का 

जब प्याला भर जाता है लबालब 

भय रहता है उसके 

छलकने का बिखरने का

 जब प्याला रहता है अधूरा 

प्रयास रहता 

उसमे कुछ और कतरे समेटने का

 जो जूनून पूर्णता पाने के प्रयास में 

है वो पूर्णता में  कहाँ 

लबालब प्याले में

 और भरने की गुन्जायिश नही 

रहती ज़िन्दगी से और कोई ख्वाहिश नहीं 

पूर्णता बना देती संतुष्ट और बेखबर

 पूर्णता की चाह करती प्रयास को मुखर

 मुझे थोड़े से अधूरेपन में ही जीने दे

 घूँट घूँट ज़िन्दगी पीने दे 

सतत प्रयासशील ज़िन्दगी जीने दे

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