Thursday, February 17, 2022

तपती रेत


 तपती रेत 

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नहीं कोई 

सतरंगी  आँचल 


सूर्य की किरणों 

 का है बिछौना 


कहीं पर नहीं 

सुकून का कोई कोना 


रेत तप कर ही 

बनती है सोना 

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