Monday, September 8, 2014

मधुबन.

मधुबन.
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कतरा
कतरा
नेह के
अमृत से
बनता पूर्ण
जीवन कलश
यादों की
बयार से
नेह की
फुहार से
बनता जीवन
मधुबन.

रजनी छाबड़ा 

Thursday, August 14, 2014

आज़ादी के मतवालों को नमन और आप सब को स्वतन्त्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई

जो जान देते हैं
वतन की राह पर
छोड़ जाते है
क़ुरबानी के नक्श ऐ पां

जिन पर चल कर
आने वाली पीढियां
क़ायम रख सके
आज़ाद वतन
आज़ाद ज़हाँ



आज़ादी के मतवालों को नमन  और आप सब को स्वतन्त्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई 

Tuesday, July 8, 2014

समकालीन सृजन को समर्पित त्रैमासिक 'शोध दिशा ' का फेसबुक कविता अंक (अप्रैल ---जून 2014) की प्रति आज डाक द्वारा प्राप्त हुई/मेरी भी ३ कविताएं  साँझ के अँधेरे मैं,अपनी माटी ,फ़ूल आर कलियाँ                 इस संकलन मैं शामिल की गयी हैं/

फेसबुक कविता अंक अपना आप मैं एक अनूठा व् सराहनीय प्रयोग है/एक अरसे से मेरे कईं मित्रगण कवि व् मैं फेसबुक पर कविताएँ पोस्ट करते रहे हैं,परन्तु इस तरह से संकलन मैं रचनाओं को स्थान मिलना एक सुखद अनुभव है/

आभारी हूँ  माननीय डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (संपादक)डॉ लालित्य ललित (अतिथि संपादक ) व् डॉ मीना अग्रवाल (प्रबंध संपादक )की /इस नवाचार के लिए आप सबको साधुवाद /


रजनी छाबड़ा 

Sunday, July 6, 2014

तुम  ख़ुद पर विश्वास करो

दुनिया तुम पर विश्वास करेगीं 

Thursday, February 6, 2014

यादों के ख़जाने

तेरी यादों के ख़जाने ने,
कर दिया है
इस क़दर मालामाल


तन्हाई के लम्हों मैं भी
नहीं है
 तन्हा होने का मलाल

रजनी छाबड़ा 

Saturday, November 2, 2013

पहचान

अंधकार को अपने दामन में  समेटे
ज्यों दीप बनाता है 
अपनी रोशन पहचान

यूं ही तुम 
अश्क़ समेटे रहो खुद में  
दुनिया को दो सिर्फ मुस्कान 
अपनी अनाम ज़िंदगी को 
यूं दो एक नयी पहचान 


रजनी छाबड़ा