Sunday, September 28, 2014
Monday, September 8, 2014
मधुबन.
मधुबन.
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रजनी छाबड़ा
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कतरा
कतरा
नेह के
अमृत से
बनता पूर्ण
जीवन कलश
यादों की
बयार से
नेह की
फुहार से
बनता जीवन
मधुबन.
रजनी छाबड़ा
Thursday, August 14, 2014
Tuesday, July 8, 2014
समकालीन सृजन को समर्पित त्रैमासिक 'शोध दिशा ' का फेसबुक कविता अंक (अप्रैल ---जून 2014) की प्रति आज डाक द्वारा प्राप्त हुई/मेरी भी ३ कविताएं साँझ के अँधेरे मैं,अपनी माटी ,फ़ूल आर कलियाँ इस संकलन मैं शामिल की गयी हैं/
फेसबुक कविता अंक अपना आप मैं एक अनूठा व् सराहनीय प्रयोग है/एक अरसे से मेरे कईं मित्रगण कवि व् मैं फेसबुक पर कविताएँ पोस्ट करते रहे हैं,परन्तु इस तरह से संकलन मैं रचनाओं को स्थान मिलना एक सुखद अनुभव है/
आभारी हूँ माननीय डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (संपादक)डॉ लालित्य ललित (अतिथि संपादक ) व् डॉ मीना अग्रवाल (प्रबंध संपादक )की /इस नवाचार के लिए आप सबको साधुवाद /
रजनी छाबड़ा
फेसबुक कविता अंक अपना आप मैं एक अनूठा व् सराहनीय प्रयोग है/एक अरसे से मेरे कईं मित्रगण कवि व् मैं फेसबुक पर कविताएँ पोस्ट करते रहे हैं,परन्तु इस तरह से संकलन मैं रचनाओं को स्थान मिलना एक सुखद अनुभव है/
आभारी हूँ माननीय डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (संपादक)डॉ लालित्य ललित (अतिथि संपादक ) व् डॉ मीना अग्रवाल (प्रबंध संपादक )की /इस नवाचार के लिए आप सबको साधुवाद /
रजनी छाबड़ा
Sunday, July 6, 2014
Thursday, February 6, 2014
यादों के ख़जाने
तेरी यादों के ख़जाने ने,
कर दिया है
इस क़दर मालामाल
तन्हाई के लम्हों मैं भी
नहीं है
तन्हा होने का मलाल
रजनी छाबड़ा
कर दिया है
इस क़दर मालामाल
तन्हाई के लम्हों मैं भी
नहीं है
तन्हा होने का मलाल
रजनी छाबड़ा
Saturday, November 2, 2013
पहचान
अंधकार को अपने दामन में समेटे
ज्यों दीप बनाता है
अपनी रोशन पहचान
यूं ही तुम
अश्क़ समेटे रहो खुद में
दुनिया को दो सिर्फ मुस्कान
अपनी अनाम ज़िंदगी को
यूं दो एक नयी पहचान
रजनी छाबड़ा
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