Friday, August 21, 2009

पहला कदम

पहला कदम

फूलों से नाज़ुक पाँव से
ठिठक ठिठक कर
डगमगाते क़दमों से
चलने का प्रयास
पाँव ने अभी अभी तो
धेरती पैर टिकना सीखा है
गिरते,उठेते
लचकते संभलते
फिर चलते
ममत्व का हाथ थामे
आंखों मैं मूक अनुमोदन
की आस
ममत्व और स्नेह से
संबल लेता
प्रयास
सफलता
की किलकारी
पैंजनिया की रुनझुन से
गूंज उठती
घेर फुलवारी



















आस मैं

सुवास की आस मैं
भ्रमित
भटक रहा
कस्तूरी मृग
आनन्द का सागर
ख़ुद मैं समेटे
कदम
भटक रहे
दसों
दिग्


Thursday, August 20, 2009

मधुबन

कतरा
कतरा
नेह के
अमृत से
बनता पूर्ण
जीवन कलश
यादों की
बयार से
नेह की
फुहार से
बनता जीवन
मधुबन.


से


आस का पंछी

मन इक् आस का पंछी
मत कैद करो
इसकों
कैद होने के लिए
क्या इंसान के तन
कम हैं

हिमखंड

पिघलते हैं हिमखंड
सर्द रिश्तों के
प्यार सने
विश्वास की उष्णता
दे कर  देखो

Wednesday, August 19, 2009

आब-ऐ-हयात

मिलने
लगते हैं

जब ख्याल
 और जज़्बात
निखरी निखरी
नज़र आती है
कायनात
घुलने लगता है
ज़िन्दगी मैं
आब-ऐ-हयात

एहसास

एहसास जिंदा हैं तो
ज़िन्दगी है
वक्त के आँचल
मै समेटे
लम्हा लम्हा एहसास
खुदा की बंदगी हैं