Saturday, January 25, 2025

क़िरदार

 क़िरदार 

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वक़्त दे लंबे सफर विच 

क़िरदार ईवेन

बदल वेंदे ने 

ओ , जो कल 

चलदे रहे 

पकड़े उंगली साडी 

ओ ही , हुण अगे वध 

सांकु रस्ता सुझांदे /


रजनी छाबड़ा 

Friday, January 24, 2025

संझिआ दे अँधेरे वेच


संझिआ  दे अँधेरे वेच 

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 संझिआ 

दे झुटपुट

 अँधेरे वेच 

दुआ वास्ते हथ जोड़ 

किया मंगणा 

टुट्दै होए तारे तुं 

जो अपणा ही वज़ूद 

नयि रख सकदा क़ायम 


मंगणा ही हे, तां मंगो 

डुबदे हुए सूरज तुं 

जो अस्त हो के वी 

नहीं थिंदा पस्त 

अस्त थिंदा हे ओ 

हक नवे सवेरे वास्ते 

अपणी सुनहरी किरणा नाल 

रोशन करण वास्ते 

सारी ख़ुदाई /


रजनी छाबड़ा 

तुसां ही दसो

 तुसां ही दसो 

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मैडी नेंदर कुं पंख लगे जदों 

किया तुहाडी वी नाल 

उड़ा लै  गयी


या फ़ेर उन्दरियाँ रातां वेच 

तारे गिनण दी रस्म 

में हेक्तरफा निभा गयी /


रजनी छाबड़ा 

मेले वेच एकले

मेले वेच एकले 

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निगाहां दे आख़िरी सिरे तायीं 

जद बैचैन निगाहां तलाशदियां हेन तैंकु 


और तुसां किथे वी विखाई नहीं  देंदे आस पास

हौर वी गहरा थी वेंदा है, मेले वेच एकले 

भीड़ वेच तनहाई दा  एहसास /


रजनी छाबड़ा 

Thursday, January 23, 2025

हेक गुमशुदा औरत

हेक गुमशुदा औरत 

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शिक़वा नहि परायां नाल 

मैडे अपणेइयाँ ने ही ख़स घिदी  

मैडे तुं मैडी आपणी पछाण 


धी , नुं , कवार , माँ 

इंहा, रिश्तियाँ  वेच गुमीया 

मैडा मैं किथे 


कल राह चलदे सदिया मैंकु 

बचपन दी हाणी ने जद सदिया मैडा नां 

खुलण लगे बंद यादां दे झरोखें 

धुप छणी किरणाँ वेच उभरइया 

धुँधला धुँधला जिहा मैडा नां 


मैं वी कदी मेँ सी 

माँ -बाबुल दी सोनचिड़ी 

जोश, ख़ुशी नाल भरपूर 

उडदी राहँदी घर, चौबारे 

पेंड दी गलियां वेच दूर दूर 


मैडी आज़ादी दे किस्से थए मशहूर  

किरक वरगी चुभण लग पई 

रिश्तेदारां दी नज़रां वेच 

मैडी पंख पसारी आज़ादी 


मशवरा दिता गया, मैडे पंख नोचण दा 

खूबसूरत बहांनियाँ वेच उलझा के 

करवा दिति गयी कच्ची उमर वेच 

मैडी शादी  


पढ़ाई लिखाई बन के रह गयी ख़्वाब 

समझाया गया मैंकु 

घर दी सेवा करण वेच ही हे मेडा सवाब 

जद तक सुती रई अपणी पहचान दी चाह 

तद तक कुझ साल रही गृहस्थी विच ख़ुश 


हुण बच्चे अपणी ज़िंदगी वेच रमे 

घोट कुं नयि कामकाज तुं फुर्सत 


बलदी रेत वरगा मन मेरा 

हर पल सुलगदा 

तपदे रेगिस्तान वेच 

ख़ाली मटके वरगा मैडा मन 

तलाशदा फ़िरदा

रुंज वेच मैडी पहचान 


मैं फलाणे दी धी, फैलाने दी नुं 

फलाणे दी कवार ते फलाणे दी मां 

इना रिशताएँ दे  वाझालोरे वेच

किथे हां मैं 


कया शिक़वा करान गैरां नाल 

मैडे आपणयां ने ही खस  घिधी 

मैडे तुं मैडी पहचान /


रजनी छाबड़ा 



पुल

 पुल 

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इंसान इंसान दे वेच 

हेक अजनबीपन जीया क्यूँ हे 

क्यूँ समेटे रखदे हाँ, असां अपणे आप कुं 

आपणे ही बणाएं क़िले वेच 

बणा घिन्दे हां ,आपणे आले दुवाले 

कछुवे जीहा हेक सुऱक्षा कवच 

ख़ौफ़ ते बेइतबारी नाल भरे 

सहमे सहमे , डरे डरे 

ज़रा जही अनजान आवाज़ सुणदे ही 

सिमट वेंदे हाँ ऊस कवच वेच 


हेक वार , सैर्फ  हेक वार 

कर वनजो पार,बेइतबारी दी दीवार 

गैरां दे सुःख दुःख साँझा कर 

ढहा सटो दूरीयां दी दीवार 


तुसां ओ  एंट बण के वेखौ 

जेहढ़ी दीवार वेच नहिय 

पुल वेच चिणी वैसी 

ज़िंदगी डा वल , तुहानकु 

आपो आप आ वैसी /


रजनी छाबड़ा 

घर

 घर 

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पियार ते अपणापां 

जदूं दीवारां दी 

छत बण वैंदा हे 


ओ मक़ान 

घर अखवांदा हे/


रजनी छाबड़ा