लस्टस एक कालजयी महा काव्य, जो अत्यंत प्रासंगिक और सारगर्भित है । लेखक ने अपनी रोचक शैली से मानवता और आसुरी शक्तियों के बीच अनंत काल से चल रही लड़ाई को बखूबी दर्शाया है । महादानव SATAN, असुरों का सरताज़ वृद्ध हो चुका है, लेकिन उसकी दानवी वृत्तियाँ कमज़ोर नहीं हुई हैं । अतः वह अपने भतीजे लस्टस को अपना उतराधिकारी घोषित कर मनुष्य के खिलाफ विनाश की लीला ज़ारी रखने का आदेश देता है । फ़िर चाहे रामायण के राम हो या महाभारत के अर्जुन, आज भी अपने समक्ष रावण की आसुरी सेना और कौरवों की छल सेना को पाते हैं । और मानवता के ख़िलाफ़ शैतानी ताकतों की ख़ूनी होली ज़ारी है । मानवता लस्टस के कपटी चालों से बच नहीं पाती, विध्वंस ज़ारी है । कभी यूक्रेन, कभी इजराइल, इराक़ तो कभी बांग्लादेश, पूरे विश्व में उसका साम्राज्य क़ायम है । लस्टस की कूटनीति हर क्षेत्र में बरक़रार है, फिर चाहे वो धर्म हो, राजनीति हो, व्यापार हो या व्यक्तिगत मानवीय रिश्ते, हर तरफ़ विघटन, बिखराव और सड़न । बड़ा ही संवेदनशील मामला है और भयानक भी, क्या लस्टस की फ़तह होगी और इंसानियत की रिहाई शैतानी ताकतों से नामुमकिन होगी/
आदरणीय लेखक डॉ आनंद जी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ । अभिनंदन करती हूँ उनकी उत्कृष्ट रचना के लिए । लस्टस, एक अजर अमर साहित्यिक कृति है, इस बेमिसाल और प्रेरणादायक रचना के लिए साधुवाद और कोटि कोटि नमन 🙏
डॉ बीना सिंह
भूतपूर्व अध्यक्ष अंग्रेजी विभाग
वसंत कन्या महाविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
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