Saturday, May 10, 2025

सहमी सहमी

 


सहमी सहमी 

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 मौत जब बहुत करीब से आकर गुज़र जाती है 

दहशत का लहराता हुआ साया-सा छोड़ जाती है 

सहमी-सहमी से रहती हैं दिल की धड़कनें 

दिल की बस्ती को बियाबान-सा छोड़ जाती है /


मेरे तृतय काव्य संग्रह ' आस की कूंची से' उद्धृत एक क्षणिका 

रजनी  छाबड़ा 

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