सहमी सहमी
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मौत जब बहुत करीब से आकर गुज़र जाती है
दहशत का लहराता हुआ साया-सा छोड़ जाती है
सहमी-सहमी से रहती हैं दिल की धड़कनें
दिल की बस्ती को बियाबान-सा छोड़ जाती है /
मेरे तृतय काव्य संग्रह ' आस की कूंची से' उद्धृत एक क्षणिका
रजनी छाबड़ा
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