Saturday, April 23, 2022

सपनों का घर

 

सपनों का घर 


आसान नहीं 

सपनों का घर बनाना 

तिनका तिनका जोड़ कर 

बनता है आशियाना 


वक़्त की आँधियों से 

बचाए रखना इसे 

मुमकिन तभी है 

जब दुआ शामिल हो 

अपनों की 

और रज़ा हो 

दुनिया  के

पालनहार की /


रजनी छाबड़ा 

कवयित्री व् अनुवादिका 

 सिमटते पँख


पर्वत, सागर, अट्टालिकाएं
अनदेखी कर सब बाधाएं
उन्मुक्त उड़ने की चाह को
आ गया है
खुद बखुद ठहराव

रुकना ही न जो जानते थे कभी
बँधे बँधे से चलते हैं वहीँ पाँव

उम्र का आ गया है ऐसा पड़ाव
सपनों को लगने लगा है विराम
सिमटने लगे हैं पँख
नहीं लुभाते अब नए आयाम


बँधी बँधी रफ़्तार से
बेमज़ा है ज़िंदगी का सफ
अनकहे शब्दों को
क्यों न आस की कहानी दे दें
रुके रुके क़दमों को
फिर कोई रवानी दे दें /

 कहाँ गए सुनहरे  दिन
 **********************
कहाँ गए सुनहरे  दिन 
जब बटोही सुस्ताया करते थे 
पेड़ों की शीतल छाँव में 

कोयल कूकती थी 
अमराइयों में  
सुकून था गावँ में 

कहाँ गए संजीवनी दिन 
जब नदियां स्वच्छ शीतल 
जलदायिनी थी 

शुद्ध हवा में  सांस लेते थे हम 
हवा ऊर्जा वाहिनी थी /

रजनी छाबड़ा 
बहुभाषीय कवयित्री व् अनुवादिका 


टावर 6  A , 1601 
वैली व्यू एस्टेट 
ग्वाल पहाड़ी 
गुरुग्राम फरीदाबाद हाईवे 
गुरुग्राम -122003 

Tuesday, April 19, 2022

अनुसृजन: साहित्यिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान

 अनुसृजन: साहित्यिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान

साहित्य सृजन मन के भावों को उकेरने का माध्यम है और अनुवाद इन भावात्मक छवियों को अपनी भाषा के शब्द शिल्प में बांधकर और विस्तार देने का सशक्त साधन/
लेखन में भावाभिव्यक्ति जब दिल की गहराईयों से उतरती है, भाषा और प्रदेश के बंधन तोड़ती हुई, सुधि पाठकगण के मन में गहनता से स्थान बना लेती है/ यहाँ मैं यह बात अपने हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड के सन्दर्भ में भी कह रही हूँ/ इस काव्य कृति की चुनिन्दा कविताओं के नेपाली, बंगाली, पंजाबी, राजस्थानी, मराठी, गुजराती में अनुवाद की श्रृखला में एक विशिष्ट कड़ी जुड गयी है; सम्पूर्ण काव्य संग्रह का मैथिली अनुवाद और यह सराहनीय अनुसृजन डॉ.शिव कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर हिंदी, पटना विश्व विद्यालय के अथक प्रयासों का परिणाम है/
व्यक्तिगत रूप से डॉ शिव कुमार से कोई परिचय नहीं था/ फेसबुक की आभासी दुनिया के माध्यम से जान पहचान हुई/ मैंने आज तक अपने प्रथम हिंदी काव्य संग्रह होने से न होने तक के अलावा अपनी अन्य मौलिक और अनुसृजित काव्य कृतियों का कभी भी औपचारिक लोकार्पण नहीं करवाया/ सोशल मीडिया पर ही पाठक गण को अपनी कृतियाँ लोकार्पित किया करती हूँ/ बहुत से साहित्यिक प्रवृति के मित्रों व् प्रकाशकों से परिचय हुआ फेसबुक के माध्यम से/ डॉ.शिव ने भी मेरी कुछ रचनाएँ फेसबुक पर देखी, जिन में से पिघलते हिमखंड की रचनाएँ उन्हें काफी पसंद आयी और उन्होंने इस काव्य संग्रह की मैथिली में अनुवाद करने की इच्छा जतायी, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकारा/ यह उनकी निष्ठा और कार्य के प्रति समर्पण का ही फल है की इतने अल्प समय में इतना प्रभावी अनुसृजन हो पाया है/ मूल रचनाकार के मनोभावों को आत्मसात करना और उस में अपनी भाषा में अभिव्यक्त करते हुए शोभा में वृद्धि करना कोई आसान काम नहीं है; परन्तु डॉ शिवकुमार से इस अनुवाद कार्य को बहुत सहजता से सम्पन्न किया/
यदि आप इन कविताओं को मैथिली में पढेंगे तो ऐसा आभास होगा जैसे कि यह मूलतः मैथिली में ही लिखी गयी हों/ यह अनुसृजनकर्ता की अत्यन्त प्रशंसनीय उपलब्धि है/ कुछ चुनिन्दा रचनाओं का आनन्द आप भी लीजिये, मूल हिंदी और अनुदित मैथिली रचना
मधुबन
कतरा
कतरा
नेह के
अमृत से
बनता पूर्ण
जीवन कलश
यादों की
बयार से
नेह की
फुहार से
बनता जीवन
मधुबन
मधुबन
बुन्न बुन्न
नेहक अमिय सँ
जिनगीक घैल
भरैत छै।
स्मृतिक
बसात आ
नेहक फुहार सँ
बनैत छै
जिनगीक मधुबन।
यह कैसा सिलसिला
कभी कभी दो कतरे नेह के
दे जाते हैं सागर सा एहसास
कभी कभी सागर भी
प्यास बुझा नहीं पाता
जाने प्यास का यह कैसा है
सिलसिला और नाता/
'"ई केहन अनुक्रमण"
कखनहुँ तऽ नेहक दू बुन्न
दऽ जाएत छै सिन्धु सन तोष
कखनहुँ समुद्रो
पियास नहि मेटा पबैत छै
नै जानि पियासक ई केहन
अनुक्रमण आ नाता छै !
क्या जानें
बिखरे हैं आसमान में
ऊन सरीखे
बादलों के गोले
क्या जाने, आज ख़ुदा
किस उधेड़ बुन में हैं/
की जैन
छितराएल छै अकाश मे
ऊँन सन
मेघक ढेपा
की जैन आइ परमतमो
कोन गुण धुन मे लागल छैथ !
मैथिली अनुवाद सुधि पाठकों को सौंपते हुए, प्रभु से कामना करती हूँ कि डॉ शिव कुमार की अनुदित कृति साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान बना पायें/ हृदय से आभरी हूँ अनुसृजनकर्ता की जिनके माध्यम से मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड को साहित्यिक रूप से समृद्धभाषा मैथिली में विस्तार मिल रहा हैं/ इस काव्य गुच्छ की सुरभि कहाँ कहाँ पहुँची, जानने की उत्सुकता और आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी/
रजनी छाबड़ा
बहुभाषीय कवियत्री व् अनुवादिका
गुरुग्राम
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मन विहग

मन विहग
*********

आकुल निगाहें
बेकल राहें
विलुप्त होता
अनुपथ
क्षितिज
छूने की आस
अतृप्त प्यास


तपती मरुधरा में 
सावनी बयार
नेह मेह का बरसना
ज़िन्दगी का सरसना
भ्रामक स्वप्न
खुली आँख का छल


मन विहग के
पर कतरना
यही
यथार्थ का
धरातल

Sunday, April 3, 2022

अधूरी आरज़ू


अधूरी आरज़ू

कोई अधूरी आरज़ू  लिए 
सो जाईये 
ताकि सुबह जागने की 
कोई वजह तो हो 


कोई अधूरा गीत गुनगुनाईये 
और सो जाईये 
ताकि कल सुरों से सजाने की 
कोशिश तो हो 


सपने आँखों में बसाये 
सो जाईये 
ताकि कल हकीकत में 
बदलने की 
कोशिश तो हो/
@रजनी छाबड़ा 


Wednesday, March 16, 2022

bio for vyvsayik nirdeshan

  रजनी छाबड़ा (जुलाई 3, 1955)

पत्नी : स्व. श्री सुभाष चंद्र छाबड़ा

राष्ट्रीयता : भारतीय

जन्मस्थान : देहली

सेवानिवृत व्याख्याता (अंग्रेज़ी)बहुभाषीय कवयित्री व् अनुवादिकाब्लॉगर, समीक्षक, Ruminations, Glimpses (U G C  Journals) की सम्पादकीय टीम सदस्य वर्ल्ड यूनियन ऑफ़ पोएट्स  की इंटरनेशनल डायरेक्टर 20ग्लोबल एम्बेसडर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड पीस (I H R A C),  स्टार एम्बेसडर ऑफ़ वर्ल्ड पोइट्री, सी इ. ओ व् सस्थापक www.numeropath.com 
साईट पर 216  देशों द्वारा विजिट्स (गूगल एनाल्य्टिक रिपोर्ट के अनुसार)

प्रकाशित पुस्तकें : अंकशास्त्र और नामांक शास्त्र पर 8 ई-बुक्स Numerology Galore ,Comprehensive Numerology Guide for Career Orientation, Latent Meanings of  Alphabets in Your Name , Pragmatic Numerology, Numerology for Health & Diet , व्यवहारिक अंकशास्त्र, व्यवसायिक निर्देशन, नामांक में वर्णों का महत्त्व 
Comprehensive Numerology Guide, Comprehensive Nameology Guide, Numerology Galore , व्यवहारिक अंकशास्त्र पेपरबैक में भी उपलब्ध 

हिंदी में 4 व् इंग्लिश में 2 काव्य संग्रह 
अनुदित पुस्तकें :राजस्थानी, हिंदी व् पंजाबी से 11 पुस्तकें इंग्लिश में प्रकाशित, मेरे 2 हिंदी काव्य संग्रह पंजाबी व् मैथिली में व् अंग्रेज़ी काव्य संग्रह राजस्थानी व् बंगाली में अनुदित न चुनिंदा कविताएं 10 क्षेत्रीय भाषाओँ में अनुदित 

राजस्थान डायरी और चंडीगढ़ न्यूज़ में अंकशास्त्र पर रूप से आलेख प्रकाशित/ फ्री करयिर निर्देशन कैम्पस
ईमेल : rajni . numerologist @gmail .com 
यूट्यूब चैनल : therajni 56 
मो: 9538695141 

Monday, March 7, 2022

 



वरिष्ठ व्यंग्यकार और कवि फारूक आफरीदी से दिनांक ५ ,मार्च को इंडिया नेटबुक्स एवं  बी पी ए फाउंडेशन के तत्वाधान में हिंदी भवन में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में प्रथम मुलाकात हुई/ उनके द्वारा लिखित व्यंग्य -संग्रह 'धन्य है आम आदमी 'की प्रति पा कर प्रसन्नता हुए/ शुक्रिया अफरीदी जी मेरे साहित्यिक ख़ज़ाने को समृद्ध करने के लिए/