Saturday, February 22, 2025

सर्ग ७ लस्टीटूटयूशन (लस्टस का सविंधान): दस आज्ञापत्र 62 to 68

सर्ग  ७ 
लस्टीटूटयूशन (लस्टस का सविंधान): दस आज्ञापत्र 
स्थल: लस्टोनिआ , महान लस्टस का दैवीय साम्रज्य 
लस्टस विश्व नेताओं को सम्बोधित कर रहा है और अपने दस आज्ञापत्र ज़ारी कर रहा है/

लस्टस :
वे सभी जिनकी आस्था 
अंधकार के साम्रज्य की शक्तियों में है 
स्वर्गदूतों के हमले से लड़ने के लिए ,
अपनी नयी प्रतिबद्धता और नवीनीकृत गौरव के साथ ,
इस दस आज्ञापत्रों का अनुपालन करेंगे, 
हमारे साम्राज्य का फैलाव सुनिश्चित करने के लिए 
प्रत्येक व्यक्ति तक 
चाहे उसमें कैसी भी सामर्थ्य हो/


धार्मिक स्थल बनाओ और लोगो में लड़ाई करवाओ 
रंगभेद और धार्मिक प्रतीकों के नाम पर /
हमारे राजदूतों की संख्या तो असीमित है 
जिन्हे ईसा और बुद्ध की धरती पर 
घृणा फ़ैलाने में व्यस्त रहना चाहिए,
 संवेदना के नाम पर 
और ईश्वर -प्रेमी लोगों को परिवर्तित कर 
कट्टर स्वर वाले और हत्यारे बनाने के लिए/



वे देश जहाँ पैगंबरों ने 
मानवता के उपदेश दिए 
और देवों का राज्य स्थापित किया 
उन्हें पूरी शक्ति से लक्षित किया जाना चाहिए/
बुराई का प्रचार इतना अधिक किया जाना चाहिए 
कि वह सच्चाई प्रतीत होने लगे/ 

पृष्ठ 62 

देवालयों में जाओ और धार्मिक ग्रंथ पढ़ो ,

और जुलूस निकालो,
 देवों को खुशी महसूस होने दो कि 
पीढ़ियाँ उनको सम्मान दे रही हैं,
उन्हें अपनी निष्क्रिय उड़ान  का आनंद लेने दो 
जबकि हम इनकी आत्मा को चूस लेंगे और केवल खाल बचेगी/


2 . 
 

हमारे साम्रज्य को केवल एक ही बात से खतरा है 
वह है प्यार 
अगर तुमने प्यार करना ही है, लस्टस से प्यार करो,
जोकि ईश्वर को सब से बड़ी चुनौती है 
और उसके शिथिल  साम्रज्य को 

आदम और हव्वा एक दूसरे से प्यार करते थे,
परन्तु ज्ञान का बीज बो कर 
जोकि घृणा का ही समानार्थक है 
हमारी योजना है कि इस अविश्वासी  विश्वास की फसल काटें/    


प्रेम  से विवाह की ओर, बुद्धिमानों का झुकाव होने दो ,
विवाह की ऐसी योजनाएं बनाओ 
कि असमान युगलों के सम्बन्ध सुनिश्चित करो 
उसके उपरांत, संतानोत्पति हेतु,
जोड़ों को कृत्रिम गर्भाधान की योजना बनाने दो 
और अंत  में , अवैध संतानों  को  धरती पर झूमने दो/


3. 

समाचारपत्रों को तुच्छ विचारों से भर दो ,
सुनिश्चित कर लो कि कोई खबर भी अच्छी खबर न हो /

उन्हे केवल वही रिपोर्टिंग करने दो जो कि बेतुकी हो,

और नेक काम तो  व्यवसाय से बाहर हैं/

 दानवों को बहुत ख़ुशी मिलती है जब वे देखते हैं कि 

नेताओं का अनुसरण तो देवालयों में भी किया जाता है 

 और देवताओं की अवहेलना कर दी  जाती है/

पृष्ट 63  

4. 

इस धरती पर जो नैतिककरण उपकरण है, उसे नष्ट कर दो,
और जो कुछ भी  महत्वपूर्ण है,  उसका अस्तित्व मिटा दो/
ज्ञान की बात सघन होनी चाहिए /
दिम्माग को मूर्खता से भी दो/
पुस्तकें ऐसी होनी चाहिए जिनमें कुछ भी विषयवस्तु न हो/
और डिग्रियाँ ऐसी जोकि प्रमाणित करें की इन में कुछ भी नहीं है/
विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि करो/
बिक्री को कई गुणा बढ़ा दो,]
और उन लोगो को शीर्ष ओहदे दो, जो सबसे निम्न रहने योग्य हैं/


5 . 

दम्पतियों में परस्पर विश्वास टूटना चाहिए 
एक लगातार विवाद की स्थिति कि किस सी बात और कर्म उचित हैं/
इस हद तक की अंततः उनका सम्बन्ध विच्छेद हो जाए 
मानवता  की कहानी को तनाव समाप्त करना अति आवश्यक है/
वास्तविक युद्ध तो अब घरों में लड़ा जाएगा/
यहीं पर तो अब खुदा का मक़बरा बनेगा/


6 . 

पाप स्वीकरोक्ति और  क्षमादान 
इसाईयों की रस्में हैं /
सदैव एक ऐसे अवसर की तलाश में रहो  
जहाँ तुम कोई विचलन ढूंढ सको /
इस तरह के प्रावधान आश्वस्त करते हैं कि 
साधारण निंदा से परे कोई सजा नहीं 
लोगों को और गलतियां करने के लिए साहस देते हैं 
नमक के आस्वादन के बाद, मिठास का स्वाद लेने के लिए/


7 . 

ईश्वर ने दैवीय संतुलन के साथ इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी 
उसने रसायनों को पुनर्मिश्रण करते हुए 
मस्तिष्क की संरचना 
मानव की विचार प्रक्रिया को  भंग करने के लिए/

पृष्ठ  64 

प्रत्येक प्राणी और मानवीय शरीर के प्रत्येक अंग की, 
अपनी आवश्यकताएं होती हैं 
अगर आपूर्ति होते रहे तो सब सही और उम्दा 
अगर प्रतिदिन का आहार न मिले ,तो अव्यवस्था 
अगर सेक्स की भूख शांत न हो तो 
काया और मन तूफ़ान मचा देते हैं/
और पीसने का  संतुलन ही बिगाड़ देते हैं/


8 . 

मनुष्य केवल एक पैकज है, 
एक सौदे केअलावा कुछ भी नहीं /
हमें  क्रूर स्वभाव और असंयमी  उमंग वाले 
 मनुष्य चाहिए/
हमारे संसार की शासिका ग्रेडा है (चंचल माँ )
लोलुपता की देवी,
वासना, आकांक्षा और क्रूर जुनून 
हमारा स्थायी पंथ/



9. 

देवालयों से पुजारियों को हटा दो 

पाठशालाओं से अध्यापकों को हटा दो/
और विश्वविद्यालयों से , अरे!
दार्शनिकों और प्रोफेसरों को/
हमें तो  कट्टर पेशेवर चाहियें
जो ऐसी ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा दें 
जोकि सिखाये कैसे ईश्वर को धोखा दिया जाये 
और नर्क की स्तापना की जाये 
और वे सभी ज्ञान प्रणालियाँ जिन से 
आत्मा की आग के गंध आती है 
उन्हें तो कचरापात्र में पड़े रहना चाहिए/


10. 

 यदि आप प्राकृतिक वृति को विफल कर सकते हो,
आप देवताओ को कोसों दूर रख सकते हो/
 पक्षी, जानवर, नदियाँ, हवाएँ ,

पृष्ठ 65 
स्वयं के एक तर्कसंगत स्थान पर रह सकेंगे/
ऐसा ही वनस्पति का प्रकरण है/
चाहे कोई वृक्ष काटो या कोई फल तोड़ गिराओ 
बिल्कुल भी  कोई आवेश होता ही नहीं]. 
इस पुरातन संसार का अब नवीनीकरण होना चाहिए/
उनमें भी , उनके उच्च दर्जे के होने का एहसास पैदा करो,
जानवरों को, पक्षियों को और लचीले वृक्षों को सूचित करो 
आज के बाद, कुछ भी मुफ्त में नहीं दिया जायेगा./


समूहगान

टांगो और बाहों पर शिक्षा केंद्रित करो 
सिर और आत्मा से इसे अक्षम करो/
आधुनिक समय के संसार में 
 पेशेवरों  की आवश्यकता है , न कि प्रोफेसरों की 
और दार्शनिकों की तो उस से भी कम/


शब्द आवाज़ नहीं करते 
फ़िर भी उन्हें बेवजह मत उछालो /
जैसे कि हम तक तक कदम नहीं बढ़ाते 
जब तक हम आश्वस्त न हो  जाएँ 
कि हमारे पैरों की नीचे की ज़मीन मजबूत है/



ईश्वर एक आध्यात्मिक सरंचना है/
अच्छाई का एक उत्कृष्ट रूप 
जिसकी सहस्त्रों परते हैं
साधुता की पहुंचते हुए 
और अंत में शुचिता की ओर/


बुराई भी अंतिम संस्करण है 

अच्छा न होने का/

दो विरुद्ध दिशाओं के एक बिंदु से 

बुराई और अच्छाई आगे बढ़ते हैं 

दोनों ही सदैव उपस्थित रहते हैं/

पृष्ट 66 

दानव कभी भी अधिक दूरी पर नहीं होते 
पलक झपकते ही 
 स्थिति पर काबू पा लेते हैं/
इस से पहले की आप कुछ सोच पाएं/
बुराई इतनी चुस्त है, इतनी बुद्धिमान, इतनी फुर्तीली 
और इसकी कार्यशैली इतनी तत्पर 
कि वे घर बैठे बैठे ,आपका काम कर देते हैं/
आपको कोई आर्डर फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं 
उनके कंप्यूटर उन्हें आपकी रूचि सेअवगत करा देते हैं 
और, वाह,आपको कॉल आ जाती है 
आपको जो चाहिए, आर्डर कीजिये 


आपको तो केवल निर्णय लेना है 
गगोल एंटर कीजिये और  एंटर का बटन दबा दीजिये/
अब आप वाणिज्यिक जीवों की दया पर निर्भर हैं/
वे जानते है की आपके लिए क्या सर्वाधिक अनुकूल है/ 
आपके अवतरण दिवस पर आपको ऑफर मिलते हैं 
कूपन्स इस आग को और उच्चण्ड करते हैं 
यह दानव की निःशुल्क सलाहकारी संस्था है/
आपकी इच्छा की अभिव्यक्ति के लिए/


यह शिष्टाचार और रीति की वजह से भी है कि 
उबासी लेते हुए या छींकते हुए देवताओं को याद करते हैं 
या अपने दिन की शुरआत करते हुए 
अन्यथा, उस समय,
 केवल दानव ही समय का लाभ उठाते हैं/


 पुराने अच्छे दिनों में , ऐसा समय भी था 
जब गाँव की एक ही चौपाल 
पूरी जनसंख्या की सेवा कर लेती थी  
इसकी ज़रूरतों के वक़्त /

पृष्ट 67 
देवता तो अब स्वयं कोअल्पसंख्यक समझते हैं,
क्योंकि अब बुराई तो सब से ऊंची भावना है/
और, शैतान ने अब हर दिल में 
एक मंदिर बना लिया है/



लस्टस प्रेस कांफ्रेंस में 

लस्टीट्यूशन के दस आज्ञापत्रों के रूप में  घोषणा के उपरान्त, एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जाती है/ संसार के विभिन्न चैनल्स महान लस्टस को घेर लेते हैं, अपने प्रश्नों के साथ / 'किलर इंस्टिंक्ट' और 'लस्ट' के संवाददाता प्रश्न पूछते हैं/


किलर इंस्टिंक्ट:

लस्टस, आपने कहा कि दानवों को 
मानव प्रजाति का संतुलन बिगाड़ना चाहिए/
आप ऐसा कैसे संभव कर पाएंगे?
और इस से दानवों के राज्य को क्या मदद मिलेगी?


लस्टस :

हमने ईडन का   संतुलन न  बिगाड़ने  का निर्णय लिया है/
 
इसकी बजाय , हमने अपना साम्राज्य बनाया है/

लस्टोनिआ /

यह हमारा स्वर्ग है, जहाँ हम मिलते हैं,

षड़यंत्र रचते हैं और आराम करते हैं/

हम मानवता की लय  को कैसे  बिगाड़ेंगे ?

सीधे सादी सी बात है, उन्हें सेक्स क्षुधातुर रख के 



किलर इंस्टिंक्ट:

सेक्स? क्या लस्टुनिआ में सेक्स पर कोई प्रतिबंध नहीं?
मानव  संसार में तो सेक्स एक वर्जित विषय है/
68 











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