Friday, August 8, 2025

परछाई


परछाई 

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 रात में तनहा सड़क पर 

संग संग अंधेरे में 

उभरती लंबी पतली परछाई 

उदास लंबी रात सी ही होती है 

दूर तक फ़ैली हुए/  


दिन काम की व्यवस्तता में 

छोटा सा प्रत्तीत होता है 

दिन में उभरने वाली छोटी 

परछाई समान /


वक़्त वक़्त की बात है/


रजनी छाबडा

बहुभाषीय कवयित्री व् अनुवादिका  

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