परछाई
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रात में तनहा सड़क पर
संग संग अंधेरे में
उभरती लंबी पतली परछाई
उदास लंबी रात सी ही होती है
दूर तक फ़ैली हुए/
दिन काम की व्यवस्तता में
छोटा सा प्रत्तीत होता है
दिन में उभरने वाली छोटी
परछाई समान /
वक़्त वक़्त की बात है/
रजनी छाबडा
बहुभाषीय कवयित्री व् अनुवादिका
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