Monday, November 2, 2009

TERE INTEZAAR MAIN

तेरे इंतजार में
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आ,तूं,लौट आ
वरना  में यूं ही
जागती  रहूँगी
रात रात भर
मिटाती रहूँगी
लिख लिख के
तेरा नाम
रेत पे
और  हर सुबह
सुर्ख उनीदी आँखों से,
नींद से बोझिल पलकें लिए
काटती रहूँगी
कैलेंडर से
एक ओर तारीख
इस सच का सबूत
बनाते हुए, कि
एक और रोज़
तुझे याद किया,
तेरा नाम लिया
तुझे याद किया
तेरा नाम लिया.

Friday, October 30, 2009

TUMHI BATAO NA

तुम्ही बताओ ना
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मेरी नींद को पंख लगे जब
क्या तुम्हारी भी संग
उड़ा  ले गयी

या फिर अधजगी रातों  में
तारे गिनने की रस्म
मैं इकतरफा निभा गयी




Thursday, October 29, 2009

ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी

ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी
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ज़िन्दगी एक ग़ज़ल थी
अब अफसाना बन गयी
नियामत थी साथ तेरे
बाद तेरे सांस लेने का
बहाना बन गयी


रजनी छाबड़ा 

Wednesday, October 28, 2009

AAS KA PANCHI

आस का पंछी
मन इक् आस का पंछी
मत क़ैद करो इसे
क़ैद होंने के लिए
क्यां इंसान के
तन कम हैं

Monday, October 26, 2009

lahren

लहरें

सांझ का धुधलका सघन
सागर की लहरें और 
हिचकोले खाता तन मन
संग तुम्हारे महसूस किया मन ने
सागर में सागर सा विस्तार
असीम खुशियाँ, भरपूर प्यार

वक़्त के बेरहम सफ़र में तुम
ज़िन्दगी की सरहद के उस पार
सांझ के तारे में
करती हूँ तुम्हारा दीदार

सागर आज भी वही है
वही सांझ का धुंधलका सघन
हलचल नहीं है लहरों में
सतह लगती है शांत
ठहरा सागर, गहरा मन
रवान है अशांत मन के
विचारों का मंथन/

अध्यापक दिवस प्रकाशन २००९,राजस्थान शिक्षा विभाग के काव्य संग्रह 'कविता कानन' में प्रकशित मेरी रचना
रजनी

Saturday, October 17, 2009

जाने कब

बेखुदी
के आलम मैं
ख़ुद को
यूँ पुकारती हूँ
जैसे तुम
बुला रहे हो मुझे
जाने कब उतरेगा
यह जूनून मेरा
कब आएगा
होश मुझे

Friday, October 16, 2009

सौहार्द की दिवाली

मेरा भारत महान
धरती के सीने पर सजे
विविधताओं के थाल समान
समेटे हर मजहब,जात पात
सम्प्रदाय ,संस्कृति और भाषा
मन मैं बस रही
बस एक ही अभिलाषा
हिंदू,मुस्लिम,सिख ,ईसाई
समझें एक दूसरे को भाई भाई
सब धेर्मों और संस्कृति का लेकर सार
करें इस देश की सार संम्भाल
सभी कर ले मन मैं एक विचार
दिवाली बने सौहार्द का त्यौहार
सब धरम दिए समान
आलोकित करें देश का आँगन
धर्म निरपेक्षता का तेल
मन दिए मैं
बनाये संबंधों को प्रगाढ़
दे कर प्यार का
उपहार

इस अंदाज़
से मने दिवाली का त्यौहार
मन मैं कोई दुर्भाव
न हो
जात धरम
का विचार न हो
बंध कर एकता के सूत्र मैं
जगमगाए यह देश महान