Wednesday, January 22, 2025

बंदगी

 बंदगी 

******

एहसास  कदे वी मरदे नहीं 

एहसास ज़िंदा हेन 

तां ज़िंदगी हे 


वक़्त दी झोली वेच समेटे 

पल पल दे एहसास 

रब दी बंदगी हेन /


रजनी छाबड़ा 


एह चाहत

 एह चाहत

********


 एह चाहत मैडी तैडी 

जे एह सोहणा सुफ़ना हे 

नींदर खुले न कदे मैडी 

जे एह हक़ीकत हे 

नींदर कदे न आवे मैंकु /


रजनी छाबड़ा 

Tuesday, January 21, 2025

गहरा राज़

 गहरा राज़ 

*********

सुफ़ने किसे दी 

इज़ाजत नाल नहि आंदे 

न ही सुफनियां ते 

 किसे दा पहरा 


बिना पंखां दे 

किवें पहुंचा देंदे 

सतरंगी दुनियां वेच 

राज़ हे एह डाढा गहरा /


रजनी छाबड़ा  

रिश्ता

 

रिश्ता

*****

मन ते अखां 

दे वेच 

गूढ़ा रिश्ता हे 


मन दा नासुर 

अखां तुं 

हंजु बण 

रिसदा हे /


रजनी छाबड़ा 

Monday, January 20, 2025

कौण परवाह करदा हे


कौण परवाह करदा हे 

*****************

 कौण परवाह करदा हे अंधेरियाँ दी 

हेक बडे तूफान तुं बाद 


हर ग़म छोटा थी वैंदा हे 

ऊस तुं वडे गम दे  बाद 

रजनी छाबड़ा 

मुक़म्मल ज़िंदगी

 मुक़म्मल ज़िंदगी 

**************

सारी उमर दा साथ 

नेभ वैंदा हे 

बस हेक ही 

पल वेच 


बुलबुले वेच 

उभरण वाले 

अक्स दी उमर 

होन्दी हे 

बस हेक ही 

पल दी /


रजनी छाबड़ा 

आपणी मिट्टी

 

आपणी मिट्टी

**********

बस्ती वेच रेह के 

जंगल दे वास्ते 

मन दा मोर 

कसमसांदा हे 


ऐस पेंडू मन दा 

क्या करां 

आपणी मिट्टी दी 

खुशबू वास्ते तरसदा हे 


किवें भुला देवां 

आपणे पिंड कुं 

रिश्तियाँ दी 

ख़ुश्बू वाली गलियाँ वेच 

उथे आपणेपण दा 

बदळ वरसदा हे /


रजनी छाबड़ा