Saturday, September 5, 2009

ज्योति

है जिनके जीवन का
हर दिन रात जैसा
और हर रात
अमावस सी काली
क्या तुम उनकी बनोगे दीवाली
वो महसूस कर सकते हैं
मंद मंद चलती बयार
पर नही जानते
क्या होती है बहार
नही जानते वो
बहारों के रंग
कैसे करती तितलियाँ
अठखेलियाँ
फूलों के संग
क्या होते हैं इन्द्रधुनुष के रंग
अपनी
आंखों से दुनिया देखने की उमंग
बाद अपने क्या तुम दोगे
उन्हें हसीं सपने
देख सकेंगे वो
दुनिया तुम्हारी आंखों से
न रहेगी उनकी दुनिया काली
उजाला ही
उजाला
हेर दिन खुशहाली
हेर रात उनकी
दीवाली















Friday, September 4, 2009

तेरे बगैर

तेरे बगैर
ऐसे जिए
जा रही हूँ मैं
जैसे कोई
गुनाह
किए जा रही हूँ
मैं

Thursday, September 3, 2009

मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
इन्द्रधनुष सा
उभरे तुम
नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हेरा भेरा कर देता
खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन मैं
आस विश्वास के
रंग देता
तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धुप मैं
नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन मैं
प्रेम की लालिमा
सा विस्तार

सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार
बाद
तुम्हारे
इन्द्रेध्नुष के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी
है

सहमी सहमी

मौत
जब बहुत करीब से
आ कर गुज़र
जाती है
दहशत का
लहराता हुआ
साया छोड़ जाती है
सहमी सहमी सी
रहती हैं
दिल की धड़कने
ज़िन्दगी की बस्ती को
बियाबान सा
छोड़ जाती है.

खामोश

जुबां
मैं भी रखती हूँ
मगर खामोश हूँ
क्या दूँ
दुनिया के
सवालों के
जवाब
ज़िन्दगी जब ख़ुद
एक सवाल
बन कर रह गई


यादों के साये मैं

बेकरारी के मौसम मैं
तनहा करार कहाँ पायें
चलें तेरी यादों के साए
सुकून की बयार पायें