Monday, July 3, 2023

जन्मदिन पर :भूपेन्द्र राघव

 भूपेन्द्र राघवRajni Chhabra

11h 
जन्मदिन पर आपके मैं
क्या भला उपहार दूँ..
पुष्प दूँ कि पत्र दूँ कि
पूर्ण उपवन वार दूँ..
छंद दूँ या बंद दूँ या..
पदावली उतार दूँ..
रूप रस गुण शब्द दूँ
उपमाएँ दूँ श्रंगार दूँ..
रसों की बरसात दूँ..
अगणित अलंकार दूँ..
प्रेम दूँ, मैं मान दूँ..
सतकार दूँ अधिकार दूँ..
आस दूँ विश्वास दूँ..
भरकर समन्दर प्यार दूँ..
चाहता हूँ ईश से मैं ..
खुशियों का संसार दूँ..
अधरों पर मुस्कान दूँ
स्पन्दन दूँ, झंकार दूँ..
शेष जितनी भी रही हैं..
बस इसी के हेतु मैं..
दुआएं सभी पुकार दूँ..
दुआएं सभी पुकार दूँ..
दुआएं सभी पुकार दूँ..
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं मित्र😊💐
मुस्कुराहट खिली रहे । 😊😊🤗🤗
ईश्वर कृपा बनी रहे 😍🍫😍🍫🌺🌺
🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼
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You and नीलम पारीक

Tuesday, June 27, 2023

कोशिश

 कोशिश 

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लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली

काश! सुनती सबकी,  पर चलती अकेली

छूटते हुए रिश्ते, उलझते जज़्बात

समझ ना पा रही ये हालात

उनकी खुशी नाखुश कर जाए, मालूम ना था

होते अकेले अच्छा होता, मनाने का बोझ तो ना था

कल की चिंता काल बन गई

आज की जीत होते हुए भी, हार बन गई

कल मरने का डर कैसा, जब आज जीने की शुरुआत नहीं

ये सोच सोच , बातें परेशान कर गईं

लाख की कोशिशें , पर ना सुलझे पहेली

काश! सुनती सबकी,चलती अकेली।


सुरभि सरदाना 

Thursday, June 22, 2023

1. सुरंग

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पहाड़ का सीना चीर  के

 बनायी जाती है सुरंग 

अंधेरों की राह 

पार कर के 

जीवन में मिलते 

उमंग और तरंग /



2.हम रहनुमा तुम्हारे

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सदियों से 

अडिग खड़े हैं 

राह किनारे 

मौन तपस्वी से 

सहते सहजता से 

आँधी , तूफ़ान के थपेड़े 

झुलसाती धूप 

सिहराती, ठिठुराती सर्दी 

पतझड़ और बहारें 

हर हाल में तटस्थ 

नहीं शिक़वा किसी से 

कोई संग चलने के लिए 

पुकारे या न पुकारे 


भटकते राहगीरों को 

दिशा दिखाते 

 हम मील के पत्थर 

हम रहनुमा तुम्हारे/


मेरी यह कवितायेँ मौलिक व् अप्रकाशित हैं/

रजनी छाबड़ा 

नारी अभिव्यक्ति मंच, पहचान के आगामी काव्य संकलन हेतु ,

Wednesday, June 21, 2023


इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुई/ 

आज दोपहर इंडिया नेटबुक्स, नॉएडा से मेरे चतुर्थ हिंदी काव्य संग्रह 'बात सिर्फ इतनी सी'  की प्रतियाँ प्राप्त हुई / इस उत्कृष्ट प्रकाशन के लिए डॉ. संजीव कुमार बधाई के पात्र हैं/ मनभावन कवर चित्र के लिए रवींद्र कुंवर जी व् आवरण सज्जा के लिए विनय माथुर जी को साधुवाद 
रजनी छाबड़ा 


Friday, June 2, 2023

रजनी छाबड़ा

 रजनी छाबड़ा ( 3 जुलाई, 1955)

सेवानिवृत व्याख्याता, बहुभाषीय कवयित्री अर अनुवादिका, ब्लॉगर, समीक्षक, Ruminations, Glimpses (UGC Journals) री संपादकीय टीम सदस्य, वर्ल्ड यूनियन ऑफ़ पोएट्स री इंटरनेशनल डायरेक्टर 20, ग्लोबल एम्बेसडर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड पीस (I.H.R.A.C), स्टार एम्बेसडर ऑफ़ वर्ल्ड पोइट्री, सी इ. ओव् सस्थापक www.numeropath.com. प्रकाशित पोथ्यां : हिंदी में- होने से न होने तक, पिघलते हिमखंड, सतरंगी खुशी, आस की कूंची से, अंग्रेजी में- Mortgaged, Maiden Step (कविता संग्रै), अंकशास्त्र और नामांक -शास्त्र पेटै 11 पोथ्यां अर अनूदित पोथ्यां:  6 काव्य संग्रै हिंदी, एक पंजाबी अर  9 राजस्थानी सूं अंग्रेजी मांय छप्योड़ा।

Wednesday, May 31, 2023

असर : म्हारी पैली राजस्थानी कविता




 असर 

*****

रेत दिनूगै सूं 

रात रै छेकड़लै पोर तांई 

रंगत बदळै। 


सूरज रै  सागै  रवै 

सोनै बरणी संगत पावै 

आखै दिन 

तपै-बळै


चाँद रै  सागै  रमै 

सगळी रात    

ठंडक पावै  

ठंडक बरसावै 


झरणा बगै जद डूंगरां सूं 

उजळी रंगत  

ठंडै, मीठै पाणी सूं   

सगळां री तिरस मिटावै      

पूगै जद मैदानां मांय 

नदी रै सरूप मांय 

बो ही पाणी गूगळो हुय जावै  

झरणै रो पाणी खुद री 

मिठास गंवाय  


सोन-चिड़कली उड़ै जद 

खुलै आभै  मांय 

आजादी रो गावै गीत 

जद होय जावै बंद 

पिंजरै  मांय 

भूल जावै- सगळा गीत


रजनी छाबड़ा 




Tuesday, May 30, 2023

बो ही है सूरज




 बो ही है सूरज 

रोशनी रूप बदले है नित 


बे  ही  नदियां ,  बे  ही झरने 

पाणी रे बगणों रा ढब -ठौर l

बदले है नित 


बो ही है, म्हारी जिंदगी 

रोज़ाना 

पण रोको न थारी चाल 

कोसिस करो 

नित, नुवी राह खोजै ताणी

अण नुवी मंज़िल ताईं


रजनी छाबड़ा 

बहुभाषीय कवयित्री अर अनुवादिका

वही है सूर्य 

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सूर्य का  स्वरूप वही है 

प्रकाश बदलता रहता है नित 


वही हैं नदियाँ, वही झरने 

पानी के वेग का अंदाज़ 

बदलता रहता है नित 


वही है हमारी ज़िंदगी 

दिन-प्रतिदिन 

पर कदम थामो नहीं 

प्रयत्नशील रहो 

नित नयी राह

तलाशने के लिए 

और नए आयाम 

खँगालने के लिए /

रजनी छाबड़ा