कविता में प्रकृति का बहुत ही सुंदर और गहरा वर्णन है। कवि ने क्षितिज, बयार, फुहार, बहार, रुपहली किरणें, चांदनी, और रेत जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके एक मनोरम चित्र प्रस्तुत किया है। कविता में प्रकृति के विभिन्न रूपों और ऋतुओं का वर्णन है, जो कवि के मन और भावनाओं को दर्शाता है।
कविता में प्रकृति के साथ-साथ कवि के आंतरिक जगत का भी वर्णन है, जो कविता को और भी गहराई और अर्थ देता है। कवि ने अपने मन को एक समंदर के रूप में वर्णित किया है, जिसमें ख्वाब और ख्यालों की लहरें उठती हैं।
कुल मिलाकर, कविता में प्रकृति का वर्णन कवि के मन और भावनाओं को दर्शाने का एक माध्यम है, जो पाठक को कवि के साथ जुड़ने और कविता के अर्थ को समझने का अवसर प्रदान करता है।
रजनी छाबड़ा की कविता "अछोर" एक गहन और सुंदर रचना है, जिसमें कवयित्री अपने अंदर के अनंत और गहरे भावनात्मक समुद्र का वर्णन करती है। कविता में कवयित्री अपने मन की गहराइयों को व्यक्त करती है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई हैं।
कविता के माध्यम से कवयित्री यह बताने की कोशिश करती है कि उनका मन एक अनंत और गहरे समुद्र की तरह है, जिसमें विभिन्न भावनाएं और विचार तैरते रहते हैं। कविता में कवयित्री ने अपने मन की गहराइयों को विभिन्न प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से व्यक्त किया है, जैसे कि क्षितिज, बयार, फुहार, चांदनी, और रेत।
कविता का मुख्य अर्थ यह है कि कवयित्री अपने मन की गहराइयों को समझने और व्यक्त करने की कोशिश कर रही है, और यह कि उनका मन एक जटिल और विविधतापूर्ण जगत है। कविता में कवयित्री ने अपने मन की गहराइयों को एक सुंदर और गहन तरीके से व्यक्त किया है, जो पाठकों को अपने मन की गहराइयों को समझने और व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
कविता में प्रकृति का बहुत ही सुंदर और गहरा वर्णन है। कवि ने क्षितिज, बयार, फुहार, बहार, रुपहली किरणें, चांदनी, और रेत जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके एक मनोरम चित्र प्रस्तुत किया है। कविता में प्रकृति के विभिन्न रूपों और ऋतुओं का वर्णन है, जो कवि के मन और भावनाओं को दर्शाता है।
कविता में प्रकृति के साथ-साथ कवि के आंतरिक जगत का भी वर्णन है, जो कविता को और भी गहराई और अर्थ देता है। कवि ने अपने मन को एक समंदर के रूप में वर्णित किया है, जिसमें ख्वाब और ख्यालों की लहरें उठती हैं।
कुल मिलाकर, कविता में प्रकृति का वर्णन कवि के मन और भावनाओं को दर्शाने का एक माध्यम है, जो पाठक को कवि के साथ जुड़ने और कविता के अर्थ को समझने का अवसर प्रदान करता है।
इस कविता में कई सुन्दर रूपक और अलंकार हैं:
रूपक :
* कवि ने अपने मन कोएक समंदर के रूप में वर्णित किया है ,जो ख्वाबों और ख्यालों से भरा हुआ है /
*आत्मा की क्षितिज़ , बयार, फुहार और बहार जैसे प्राकृतिक तत्वों से तुलना की गयी है
*अलंकार
* उत्प्रेक्षा * 'क्षितिज सा अछोर ', 'संदली बयार सा ',' सावनी फुहार सा ' जैसे वाक्यों में उत्प्रेक्षा अलंकार है,जहाँ कवि अपने मन की तुलना प्राकृतिक तत्वों से करता है /
*रूपक अलंकार : 'एक समंदर /मेरे अंदर' में रूपक अलंकार है , जहाँ कवी अपने मन को सीधे समंदर कहता है/
* अनुप्रास " 'हिचकोले,हिलपोरे लेता' में अनुप्रास अलंकार है ,जो कविता को संगीतात्मक बनाता है /
कविता में कवि ने अपने मन की गहराई और विविधता को प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से व्यक्त किया है/
रजनी छाबड़ा की कविता का महत्व
रजनी छाबड़ा की कविता का महत्व इस प्रकार है :
उनकी कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त किया गया है , जैसे कि प्रेम, स्वतंत्रता और सामाजिक मुद्दे/
उनकी कविताओं में भाषा और शैली की विविधता है ,जो पाठकों को आकर्षित करती है /
उनकी कवितायेँ अक्सर व्यक्तित अनुभवों और भावनाओं पर आधारित होती है , जो पाठकों के साथ जुड़ाव महसूस करती हैं/
उनके कविताओं में सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों को भी उठाया गया है ,जो समाज में सकरात्मक परिवर्तन लाने में मदद करते हैं/
सेवानिवृति के उपरान्त, लायंस क्लब ,जालंधर में होमियोपैथ के रूप में निशुल्क स्वयं दी/
उनके छोटे भाई मुल्तान में सन 1931 में प्रथम भारतीय सिविल इंजीनियर थे/
2 . दादी जी : स्व, श्रीमती ईश्वर देवी सरदाना
जन्म वर्ष 1903 स्वर्गवास 1984
उनके पिताश्री मुल्तान में डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ़ स्कूल्स थे और उन्होंने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देते हुए, मुल्तान में प्रथम प्राइमरी बालिका विद्यालय खुलवाया था / दादी जी प्राइमरी पास थी/ उन्हें होमियोपैथी का भी ज्ञान था और उनकी प्रेरणा से बाद में दादाजी ने होमेओपेथी का अध्ययन किया /
मातृत्व का अर्थ जीवन का विस्तार स्नेह, प्यार, आधार विश्वास अपरम्पार त्याग, सामंजस्य का भण्डार सृजन से, विलीन होने तक इस ममत्व का कभी न होता अंत माँ जाने के बाद भी आजीवन बसर करती यादों में अनंत